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प्रेम वाले लाल गुलाब / शर्मिष्ठा पाण्डेय
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प्रेम वाले लाल गुलाब मासूम थे
तोड़े गए पर उन्हें पता न था
गुलदानों में असली फूलों का चलन बीत चुका था
तो,यूँ ही उन्हें रख दिया कैक्टस के इक पौधे पर
बेमेल सही कांटे भी चुभन भी
लेकिन, गुलाब तो हैं
प्रेम भी
बस यही बहुत है