गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा
मैं तो गया मारा
आके यहाँ रे, आके यहाँ रे
उसपर रूप तेरा सादा
चन्द्रमधु आधा
आधा जवाँ रे, आधा जवाँ रे
जी करता है मोर कि पैरों में पायलिया पहना दूँ
कुहू कुहू गाति कोयलिया को, फूलों क गहना दूँ
झर झर झरते हुए झरने, मन को लगे हरने
ऐसा कहाँ रे, ऐसा कहाँ रे
उसपर रूप तेरा सादा ...
रंग बिरंगे फूल खिले हैं, लोग भी फूलों जैसे
आ जाये इक बार यहाँ जो, जायेगा फिर कैसे
यहीं घर अपना बनाने को, पंछी करे देखो
तिनके जमा रे, तिनके जमा रे
उसपर रूप तेरा सादा ...
परदेसी अन्जान को ऐसे कोई नहीं अपनाता
तुम लोगों से जुड़ गया जैसे जनम जनम का नाता
अपने धुन में मगन डोले, लोग यहाँ बोले
दिल की ज़बाँ रे, दिल की ज़बाँ रे
उसपर रूप तेरा सादा...