भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल काहू को देव ना / मोती बी.ए.

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:42, 29 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोती बी.ए. |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हो दिल काहू को देव ना
हाय दिल काहू को देव ना आँख करो ना चार
अरे महंगा सौदा प्यार का कर लो खूब बिचार
उई मार गयो रे
हाय मार गयो रे मोरे दिल पे कटारी
हाय मार गयो रे
जुलुम करे रे गोरी अंखियाँ तिहारी
जुलुम करे रे

एक परदेसी से लागे हैं नैना
होय लागे हैं नैना
रात नहीं निंदिया हो दिन नहीं चैना
हो दिन नहीं चैना
पिया पिया बोले
मोरे दिल की ये मैना
कि भूल नहीं रे
कि भूल नहीं रे ये सूरत प्यारी प्यारी
कि भूल नहीं रे
जुलुम करे रे गोरी अंखियाँ तिहारी
जुलुम करे रे

ओ आँखों की बरछी
आँखों की बरछी दिल का निशाना
हो दिल का निशाना
मछुओं की छोरी से दिल ना लगाना
अजी दिल ना लगाना हाय दिल ना लगाना
होगी बदनामी
हँसेगा जमाना
हाय देख रहीं रे
हाय देख रहीं रे ओर नगरिया ये सारी
हाय देख रहीं रे
होय मार गयो रे मोरे दिल पे कटारी
हाय मार गयो रे

दिल को लगा के
बताओ क्या पाया
दिल तोड़ना था
तो दिल क्यूँ लगाया
झूठी कसम खा के
मुझको लुभाया
अजी मुझको लुभाया
सताय मती रे
शर्माये मती रे
हाय सताय मती रे हो कसम है हमारी
सताय मती रे

हाय जुलुम करे रे गोरी अंखियाँ तिहारी
जुलुम करे रे
होय मार गयो रे मोरे दिल पे कटारी
हाय मार गयो रे