भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रिश्ते / रति सक्सेना

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:40, 29 अगस्त 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुछ रिश्ते
तपती रेत पर बरसात से
बुझ जाते हैं
बनने से पहले

रिश्ते
ऐसे भी होते हैं
चिनगारी बन
सुलगते रहतें हैं जो
जिंदगी भर

चलते साथ
कुछ कदम
कुछ रुक जाते हैं
बीच रास्ते

रिश्ते होते हैं कहाँ
जो साथ निभाते हैं
सफर के खत्म होने तक..