Last modified on 31 अगस्त 2013, at 13:04

फेसबुक / हरे प्रकाश उपाध्याय

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:04, 31 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरे प्रकाश उपाध्याय |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दोस्त चार हजार नौ सौ सतासी थे
पर अकेलापन भी कम न था
वहीं खड़ा था साथ में
दोस्त दूर थे
शायद बहुत दूर थे
ऐसा कि रोने-हँसने पर
अकेलापन ही पूछता था क्या हुआ
दोस्त दूर से हलो, हाय करते थे
बस स्माइली भेजते थे...