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स्मृतियाँ- 7 / विजया सती

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तब मुझे अच्छे लगते थे
हरे-भरे खेत -
पहाड़ आसमान बादल
और छोटी छोटी नहरें
अच्छे तो अब भी हैं वे सब
पर अब मैं वह कहाँ?