Last modified on 6 सितम्बर 2013, at 15:58

शरद् के आगमन / बैद्यनाथ पाण्डेय ‘कोमल’

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:58, 6 सितम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बैद्यनाथ पाण्डेय 'कोमल' |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

शरद् के शुभ आगमन में
गीत पंछी गा रहल बा।
गाँव-गाँवन के गलिन में
साफ अब लउकत डगर रे;
पाँव धोवे हित कहीं पर
जल संजोले बा नगर रे;
आगमन सम्वाद ले के
आज खंजन आ रहल बा।
रात के शुभ चाननी में
बिछ रहल बा शुभ्र चानी
चाँद विहँसेला गगन में
कुमुद पर उमड़त जवानी;
शशि मधुर सत्कार में खुद
धूम धाम मचा रहल बा।
काश के फूलल कुसम में
चँवर अब धरती डुलावे;
डाल पेड़न के हवा पर चढ़
चलल जल्दी बुलावे;
आज पुरुवा के लहर कुछ
लाज से सकुचा रहल बा।
शरद् के शुभ आगमन में
गीत पंछी गा रहल बा।