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आदमी से आदमी अझुराइल बा / प्रभुनाथ सिंह

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आदमी से आदमी अझुराइल बा।
सभे एक दोसरा से डेराइल बा।
मिल्लत बेमउआर आज के दिन।
सभका मगज में भँग घोराइल बा॥
नाता-रिस्ता जड़ से टूट रहल बा॥
जे जहाँ बा ऊहें से लूट रहल बा।
एह बउरइला के कवन पारावारा बा?
सभे अपने खून के चिहुट रहल बा॥

जे चोर बा, ऊ चानी काटता।
जे साध बा ऊ सीत चाटता।
उल्टा बह रहल बा गंगा के धार
दू दिन के बछुरुओ मूँड़ी झाँटता॥