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छन-छन के बनल-बिगड़ल / जौहर शफियाबादी

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छन-छन के बनल-बिगड़ल लिखल बा हथेली पर,
आवेले हँसी हमरा जिनगी का पहेली पर।
शुभ याद के परछाई सुसुकेले अंगनवाँ में,
जब चाँदनी उतरेले सुनसान हवेली पर।
जीअत आ मुअत खाता लागत बा कि बेटहा ह,
जे गाँव के तड़कुल का बइठल बा मथेली पर।
भगवाने भरम राखीं चुटकी भर सेनुरवा के,
धड़कत बा करेजवा कि गुजरल का सहेली पर।
जिनगी का अन्हरिया में कइसन ई अँजोरिया ह,
बा नाव लिखल कवनो मनरूप चमेली पर।
‘जौहर’ जे निरखले बा निरखले बा नियरे से जिनिगिया के,
विश्वास करी ऊ का माया के बहेली पर।