Last modified on 19 सितम्बर 2013, at 08:42

जहर नइये / लाला जगदलपुरी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:42, 19 सितम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाला जगदलपुरी }} {{KKCatGhazal}} {{KKCatChhattisgarhiRachna}} <...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कहूँ सिरतोन के कदर नइये
लबरा ला कखरो डर नइये।
कुआँ बने हे जब ले जिनगी
पानी तो हवे, लहर नइये।
एमा का कसूर दरपन के
देखइया जब सुघ्घर नइये।
बिहान मड़ियावत काहाँ चलिस
बूता ला कुछू फिकर नइये।
देंवता मन अमरित पी डारिन
हमर पिये बर जहर नइये।