खादी के टोपी / कोदूराम दलित
पहिनो खादी टोपी भइया !
अब तो तुम्हरे राज हे
खादी के उज्जर टोपी ये
गाँधी जी के ताज हे ।
आजादी के लड़िन लड़ाई
पहिरिन ये ला वीर मन
गोरा मन के टोप झुकाइन
बलिदानी रणधीर मन ।
भइस देश आजाद, बनिस
बंचक खातिर गाज ये
पहिनो खादी टोपी भइया !
अब तो तुम्हरे राज हे...
सब्बो टोपी ले उज्जर
सुग्घर सिर के सिंगार ये
ये ला अपनाओ सब झिन, देथे
सुख शांति अपार ये ।
आधा गज कपड़ा खादी के
हमर बचाइस लाज ये
पहिनो खादी टोपी भइया !
अब तो तुम्हरे राज हे...
बन जाथे कनटोप इही हर
बन जाथे सुग्घर थैली
नानुक साबुन मा धो डारो
जब ये हो जावय मैली ।
येकर महिमा बता दिहिस
हम ला गाँधी महराज हे
पहिनो खादी टोपी भइया !
अब तो तुम्हरे राज हे...
येकर उज्जर पन हमार मन के
मन उज्जर कर देथय
येकर निरमलता हमार मन–मा
निरमलता भर देथय ।
येकर गुन ला गाही तो
तर जाही तुम्हर समाज ये
पहिनो खादी टोपी भइया !
अब तो तुम्हरे राज हे...