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गांधारी की पट्टी / रामफल चहल

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कणव ऋषि और दुर्वासा ऋषि दोनों गुरू भाई थे। कणव ऋषि की पत्नी ने बार-बार उनके यहां चले जाने पर बगैर नमक का भोजन देकर कहा कि नमक घर में था ही नहीं क्योंकि उसने नमक को आटा समझ कर बाहर फंक दिया। दुर्वासा ऋषि इस अपमान को सहन नहीं कर सके और उसे अगले जन्म में आंखे होते हुए भी न देख सकने का श्राप दे दिया जो अगले जन्म में गांधारी बनी।

जै गांधारी आंख्या कै पट्टी ना बांधती तो ना महाभारत सा चाला होता
ना इतणे योद्धा कटकै मरते ना देश का ब्योंत कुढाला होता
धृतराष्ट्र जन्म का अंधा गांधारी कर्म की अंधी बण बैठी
अच्छी पत्नि बणन के चक्क्र मैं वा मात कुल मेटी बण बैठी
आंख्या पै पट्टी बांधण की बजाए वा दुर्योधन न आच्छे लच्छण सिखावती
तो आपणे सौ बेट्यां नै महाभारत म्हं कदे न वा खपावंती
दुर्वासा गेल्यां उसनै पाच्छले जन्म मैं अनुणा भोजन दे कै करया था मजाक
पर वो अतिथि न देख कै नाक चढाणा करग्या आगले जन्म मैं गरगाप,
कणव ऋषि की पत्नि के रूप मैं गांधारी नै अपणे सिर पै पाप लिया
सुन्दर आंखे होते हुए बी ना देख सकैगी दुर्वासा न यो शाप दिया
मन्नै पूरे के पूरे महाभारत के रोले मैं दो चीजां की कमी पाई
एक तो उन दिनां ब्यूटी कन्टैस्ट ना थे दूजी बालकां ताहीं अंग्रेजी ना सिखाई
जै बालक उन्हें द्रोण पाठशाला की बजाय किसै कान्वैंट म्हं पढ़ाए होते
तो छोटी मोटी बातां पै न्यूं ना देश अर कुटुम्ब खपाए होते
कुछ बालकां का फिल्म इंडस्ट्री अर कुछ का फैशनडिजाइन का डिप्लोमा कराया होता
तो दुर्योधन न दुसासन की जगह द्रोपदी धौरै एक सुन्दर सा कार्ड भिजवाया होता
इबकै मिसिज यूनिवर्स हस्तिनापुर म्हं होगा बस यो हे संदेशा लिखवाया होता
तो द्रोपदी दो छोटी छोटी कात्तर पहरें उघाणें पाहीं भाजी आवै हे
अर्जुन खुद उसकी बाकी की डैस ए.सी. कार म्हं धर कै ल्यावै हे
ना भीष्म पितामह शर्मसार होता अर ना विधुर कोए ऑब्जैक्शन लावै हे
ना भीम बली जाड़ पीसता खुद युधिष्ठर जजां की सिफारश लावै हे
ना कर्ण उसपै हांस सकै था अर ना कृष्ण चीर बढ़ा के लाज बचावैहे
उनका टी.वी. आला प्रोड्यूसर संजय बी बावला था जो भैंस के आगै बीन बजाए गया
कोए मनोरंजक सैक्सी प्रोग्राम ना दिखाया आंखो देखा हाल सुणाए गया
जै ब्यूटी कन्टैस्ट अर फैशन चैनल वे उस टेम शुरू कर लेते
तो कौरू द्रोपदी का के चाहे सारी दुनियां का चीर हर लेते
वै तो कैरूं पाण्डू मार्डन ना थे ज्यां करकै इसा जोर का लाट्ठा बाज्या
आज ब्यूटी क्वीन के ताज खातिर बिना बताए छोहरी घर तैं भाज्जैज्या
जै उस टेम अंग्रेजी होती तो कर लेते इतनी एडजस्टमैंट
सिंहासन तै बंध्या सूं की बजाए भीष्मपितामह कहता नो कमैंट
द्रोपदेी रोला मचावण की बजाए बण जाती मिसिज यूनिवर्स की कन्टैस्ट
गांधारी की ढालां बेरा ना आजकल के मां-बाप किसके श्राप तलै आरे सै
बालकां नैं कोए भी ना रोकता सारे फैशन चैनल चलारे सै
चीर हरण आले का इस देश म्हं कदे तो भीम चल्लू भरकै लहू पीग्या
आज उन्हैं के वंशज ब्यूटी कान्टैस्ट करावै हर कोए आपणे होठ सीग्या
मेरे ख्याल तैं वो युग बदलग्या कलयुग को इब रोल़ा सै
मुफ्त मैं तू क्यूं थूक बिलोवै चहल तू सादा भोल़ा सै
जै रोकण बी लाग्गै तो लोग कहैं से यो टोल तो नरया बैकवर्ड सै
इस गांधारी की ढाल मन्नै बी पट्टी बांध ली क्यूं के जमाना घणा फारवर्ड स