Last modified on 27 सितम्बर 2013, at 13:55

बड़ि जुड़ि एहि तरुक छाहरि / विद्यापति

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:55, 27 सितम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विद्यापति |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatMait...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बड़ि जुड़ि एहि तरुक छाहरि, ठामे ठामे बस गाम।
हम एकसरि, पिआ देसाँतर, नहि दुरजन नाम।
पथिक हे, एथा लेह बिसराम।
जत बेसाहब किछु न महघ, सबे मिल एहि ठाम।
सासु नहि घर, पर परिजन ननन्द सहजे भोरि।
एतहु पथिक विमुख जाएब तबे अनाइति मोरि।
भन विद्यापति सुन तञे जुवती जे पुर परक आस।