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खो देना शब्दों की ताजगी / आन्ना अख़्मातवा

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खो देना शब्‍दों की ताजगी और सादगी अनुभूतियों की
हमारे लिए एक समान नहीं है क्‍या उसी तरह
जैसे चित्रकार द्वारा खो देना दृष्टि
अभिनेता द्वारा आवाज
और सुंदर स्‍त्री द्वारा खो देना अपना सौंदर्य ?

पर कोशिश न करो बचाने की उसे
जो उपहार में मिला है ईश्‍वर से :
बचाने के लिए नहीं, हम अभिशप्‍त हैं खर्च करने के लिए
और यह मालूम है हमें अच्‍छी तरह।
उठो, चल दो अकेले, लौटा दो नेत्रहीनों को दृष्टि,
कि देखना अपने संदेह भरे बोझिल क्षणों में
शिष्‍यों के अपमानजनक व्‍यंग्‍य
और भीड़ की उदासीनता।