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रूपक / रामकृष्ण वर्मा 'बलवीर'
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गोरा गोरा रंग हौ भभुतवा रमौले मानो सेली लाल ललिया लकीर।
रूपवा के भिखिया पलकिया में माँगे ‘बलविरिवा’ की अँखियाँ फकीर।।
झपझप-झपकेली सोई मानो गोरिया री झुक-झुक करेली सलाम।
(तोरे) गोड़वा की धुरिया बरौनियाँ से पोंछें ‘बलविरिवा’ के अँखिया गुलाम।।