मोती बी.ए. / परिचय
मोती बी०ए० का जन्म 1 अगस्त 1919 को गाँव तेलियाँ कला , बरेजी ,बरहज , जिला देवरिया (उ. प्र.) हुआ था। मोती बी०ए० ने 60 से अधिक हिन्दी तथा भोजपुरी फ़िल्मों के लिए गीत लिखे और बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका मूल नाम मोती लाल उपाध्याय था। 1938 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बी०ए० की डिग्री प्राप्त करने के बाद 1941 में उन्होंने स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने बी०टी० और साहित्य रत्न की डिग्री भी हासिल की थी। अपने कैरियर में शुरुआती दिनों में वह ’आज’ , ’आर्यावर्त’ और ’संसार’ जैसे समाचार पत्रों के लिए लिखते रहे। उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखे जिनमे ’साजन’ (1947) और ’नदिया के पार’ (1948) के गीत बहुत ही लोकप्रिय हुए थे। उनके लेख और कविताओं को ’आज’ दैनिक के मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित किया जाता था। उन्हें भोजपुरी साहित्य अकादमी द्वारा अगस्त 2002 में सम्मानित किया गया। श्री मोती बी०ए० द्वारा लिखित और प्रकाशित एक दर्जन से अधिक पुस्तकें भोजपुरी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं।
उन्होंने भोजपुरी भाषा को अपने लयदार गाने और भावुक कविताओं से एक नई पहचान दी। उनकी उपलब्धियाँ आर्थिक रूप से भूखे भोजपुरी क्षेत्र की नई पीढ़ी के युवाओं के लिए, जो बहुत प्रतिभाशाली है, प्रेरणा स्रोत है।
भारत सरकार ने भोजपुरी भाषा को महत्व और मान्यता देने का काम मोती बी०ए० की कोशिशों के कारण ही शुरू किया। साहित्य अकादमी, नई दिल्ली ने प्रथम भोजपुरी सम्मान करने के लिए कवि-लेखक मोती बी०ए० के नाम की घोषणा की। इस तरह अकादमी ने इस दुनिया के कोने-कोने में फैले हुए तीन करोड़ भोजपुरी भाषियों की भावनाओं को सम्मानित किया। उन्हें सम्मान में 40,000 रुपये नकद और एक शाल प्रदान किया गया। भारत के राष्ट्रपति ने अगस्त २००२ में मोती बी०ए० को सम्मानित किया।
पिछले 8 साल से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था। 18 जनवरी 2009 की सुबह उनका निधन हो गया। उन्होंने पुरानी भोजपुरी फिल्म नदिया के पार (सचिन और साधना सिंह वाली नहीं, बल्कि किशोर साहू द्वारा निर्देशित पुरानी फिल्म) के गीत लिखे। उनके लोकप्रिय प्रकाशनों में से कुछ हैं :-- महुवा बारी, समर के फूल, तुलसी रसायन, बादालिका, लाचारी, मेघदूत (भोजपुरी) आदि।
मोती बी०ए० की रचनाएँ :--
शेक्सपीयर के सानेट का हिन्दी पद्यानुवाद,
काव्य रूपक - "कवि-भावना-मानव"
स्फुट रचना संग्रह - "प्रतिबिम्बिनी"
"समिधा '(गीतांजली)
तड़पते हुए गीत -- "मृगतृष्णा"
गीतधारा - ’कवि कविता’ और
भोजपुरी कविता संग्रह - "के सेमर फूल"
मेघदूत - भोजपुरी पद्यानुवाद
राजनीतिक कविता संग्रह: रांची से राजघाट
मोती बी०ए० के बारे में कुछ व्यक्तियों के विचार;
मुझे इस बात का दुख है कि आपको जैसा सम्मान मिलना चाहिए, वैसा नहीं मिला। पर इससे हताश होने की कोई जरूरत नहीं। "कालोह्म निरवधिर्विपुल च पृथ्वी।" - डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी
आप सरल शैली के मास्टर हैं। इस शैली ने और कुछ भी दिया हो या न, आपको सरल बना दिया है। सरलता बड़ी साधना की देन है। आपको सन्तुष्ट होना चाहिए। -डॉ हरिवंश राय बच्चन