भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आस / कविता मालवीय

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:57, 3 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता मालवीय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारा क्या ख्याल है!
नेपथ्य में काफी संभावनाएं हैं
नेपथ्य में पलने वाले दर्द
जब उघड़ जाते हैं तो

अनसुने, अनदेखे नहीं रह जाते हैं,
उर्मिला के निशब्द दर्द
सीता के कथनीय दुःख से
ज्यादा शोर मचाते हैं,
कर्ण के शांत आक्रोश स्वर
अर्जुन के सस्वर वीर राग पर
ज्यादा भारी पड़ जाते हैं

हम तुम भी नेपथ्य में ही खड़े हैं