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कोमल कुमार गात देखि कामहुँ लजात / महेन्द्र मिश्र
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कोमल कुमार गात देखि कामहुँ लजात
सोई पछितात जात कइसे बन रहिहें।
बाघ सिंह सूकर अनेक विकराल काल
तामें हो बेहाल हाल कासे दुख कहिहें।
लड़िका नदान रघुनाथ मेरे प्यारे हाथ
आपनी विपत्ति घात रात दिन सहिहें।
महेन्द्र पुकार बार-बार कोशिला जी कहे अइसे
कुवार के करेरी घाम राम कइसे सहिहें।