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कवना नगरिया के इहो दुनू भइया / महेन्द्र मिश्र

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कवना नगरिया के इहो दुनू भइया
मोर देवरवा रे हमरो परनवाँ हर ले जाय।
आ मरे महुइया के हरे-हरे पातवा
मोर देवरवा रे ओइसे डोले जियरा हमार।
कबहीं ना देखलीं हम अइसन सुरतिया
मोर देवरवा रे जेहि देखि नयनवाँ जुड़ाय।
छोटे-छोटे बहियाँ में तीरवा धेनुहिया
मोर देवरवा रे छोटे-छोटे कनियाँ निहार।
सोना के थाली में आरती उतरबों
मोर देवरवा रे इनका के करइबों जेवंनार।
कहत महेन्द्र मन मोहले बटोहिया
मोर देवरवा रे जिया नाहीं मानेला हमार।