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साँची कहो नृपलाल सँवलिया रे / महेन्द्र मिश्र
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साँची कहो नृपलाल सँवलिया रे।
साँची कहो नृपलाल।
कवने सखी तोरा जिया में बसी है
काहे होत बेहाल सँवलिया साँची कहों नृपलाल।
बिना पूछे नहीं जइहों लला तुम
बाँह गहे की लाज।
द्विज महेन्द्र असरन सुध लेना तुम ही गरीब नेवाज।
सँवलिया साँची कहो नृपपाल।