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आहो कान्हा ई का कइलऽ / महेन्द्र मिश्र

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आहो कान्हा ई का कइलऽ, आ हो कान्हा ई का कइलऽ।
भूलि गइलऽ बचपन की बात कान्हा, ई का कइलऽ।
बनवाँ कीला में काँट मोरा निकललऽ कान्हा ई का कइलऽ।
तोरा बिनु नइखे रहल जात कान्हा ई का कइलऽ।
फाड़ के पीताम्बर कान्हा लोर मोरा पोछलऽ कान्हा ई का कइलऽ।
प्रीत कइलऽ किरिया धराय कान्हा ई का कइलऽ।
साँवरी सुरतिया तोहरो आँखि से ना उतरे कान्हा ई का कइलऽ।
रहि-रहि जिउआ घबड़ाय कान्हा ई का कइलऽ।
कहत महेन्दर कान्हा सुधियो ना लिहलऽ कान्हा ई का कहलऽ।
तोहरा बिना जियलो ना जाय कान्हा ई का कइलऽ।