भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उण कनै / अर्जुनदेव चारण
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:48, 15 अक्टूबर 2013 का अवतरण
उण कनै
होवै दो आंखियां
सपनां बायरी
उण कनै होवै होठ
सबदां बायरा
उण कनै होवै हाथ
मंडण सांरू
दूजां रै सांम्ही
उण कनै होवै पग
पण वा
जीवै
आखी जूण
पांगळी