भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मन / अर्जुनदेव चारण
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:52, 15 अक्टूबर 2013 का अवतरण
बेटी
खोलै घर रौ आडौ
पीढियां रौ मारग
आगत री आगळां
पण
कदेई नीं खोलै
आपरौ मन