भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बणजा बेटा मोरयो / कुमार गणेश
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:45, 15 अक्टूबर 2013 का अवतरण
प्रीत पगल्या टूट्या-फूट्या,घाल गले में डोरयो
रोवनो है तो बिरखा में रो,बणजा बेटा मोरयो
इब बे बेली मिलै कठे है,इब बे जूनी बात्यां है
काढ कालजो चाखै साथी,इब कांई ओ होरयो
नूंवे जमाने री निजरां सूं,इत्तो फरक तो आ ई ग्यो
पेली बाजतो जीको 'चोरसा',इब बो ई है 'चोरयो'
लोई सूखग्यो चेरे रो,आंख्यां भाटा बणगी है
जद सूं टूट्यो था रै म्हारे,मन बीचे रो डोरयो
पाछो इब तूं कांई आसी,कांई था री उम्मीदां राखां
बाथां भर ले आज 'कुमार',देख कोई है रो रयो