भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बिरछ अर आदमी-4 / पूर्ण शर्मा पूरण
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:56, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण
लफंणा मांय
चिंचाट करता चिड़िया
इण डाळी सूं उण डाळी तांई
उडती पांख्यां
खरखोदरां मांय उडीकती आंख्यां
अर अठै तांई कै
मुस्कल सूं ठरड़ीज आई
सांसां नै ई
कीं नां कीं देयां पछै
उबरतौ ई रैवै
उण कंनै बिरछपंणौ।