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थे अर बै / प्रमोद कुमार शर्मा

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बै
जिका धाप्योड़ा है
बां नै नीं है सरोकार
थारै बिचार स्यूं
क्यूं‘कै बै
बिचारहीन समाज रै
सुपना मांय जी रैया है
बां रै भीतर बैठयो है
ऐक निरंकुस अफसर
जिकौ आज भी समझै थानै
बंधुआ मजदूर !
अर थे सांस रोक्यां
किणी संजोग री उडीक मांय
बैठया हो हासिये माथै।
पण सोच ल्यौ,
थारौ इयां मून बैठणौ
थानै कर देसी एक दिन जड़
अर बै
देखता‘ई देखता
पसर ज्यावैला
पूरै पानै उपर।