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दादोसा रो उणियारो / मदन गोपाल लढ़ा
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दादोसा कैंवता
गाछ आपणा सागड़दी है।
बाखळ में
बरसां सूं खड्यो
बूढ़ियो नीम
अर वीं री छिंया में
माची ढ़ाळ‘र बैठ्या
दादोसा
जाणै करता गुरबत।
दादोसा री ओळूं रो
पड़तख रूप्
नीम रो बूढ़ो दरखत
आपरी छिंया रै मिस
म्हारै सिर माथै
हाथ फेरै।
म्हैं जोवूं नीम में
दादोसा रो उणियारो।