भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सबद अमरित !/ कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:10, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लिखारा !
मती बणा
कलम नै
भोगी रसियै री बंसरी
निलजै चितैरै री कूंची
आ तो है
सुरसत मां री
संजीवणी जड़ी,
परगासै आतमा री जोत
मेटै जिनगानी रो दुंद
ओळख ईं री खिमता
ससती रागळ्यां‘र
थूळ बिंबां मे मती गमा
ईं री नोक स्यूं झरतो
सबद रो अमरित !