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प्रीत रो पानो : 2 / मदन गोपाल लढ़ा

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रेसमीन रूमाल में
लपेट‘र
जिण ढाळै
थूं म्हनैं सूंप्यो हो
प्रीत रो पैलो पानड़ो
ओजूं ई म्हनैं लागै
सपनै रै गळांई।

कदी कदास
एक सपनै में ई
निवड़ जावै
आखी जिंदगाणी।