भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उमाव / मीठेश निर्मोही

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:03, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भाख फाटतां ई
नापण लागै
आभौ
भाजता ई भाजता
जावै
अछेह अपार ।

लेय दांणौ
बावड़ै
चीरतां
अंधारौ ।

आपरै भाग नै
चेत्यां देख
फुदकण लागै
माळौ ।