भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घर में रमती कवितावां 22 / रामस्वरूप किसान
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:40, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण
आमणैं-सामणैं रा
दो कैदी-
आंगणौ अर छात
परस रा भूखा
सलाखां मांकर पसारै हाथ
पण, सूत भर री छेती
रैयज्यै हर बार।