Last modified on 17 अक्टूबर 2013, at 14:40

घर में रमती कवितावां 23 / रामस्वरूप किसान

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:40, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

गळी में रमतै
टाबरां री दड़ी
छात पर टिप्पौ खाय‘र
आंगणैं में पड़ी

झट काळजै लगाई आंगणैं
अर भोगण लाग्यौ
छात रौ परस
दड़ी रै बंट।