मनचायी मौत / सत्येन जोशी
लै बोल !
म्है बैचूं ईमान, खरीदैला
देवैला मूंडे मांग्या दाम
जांणू, थूं मोलाय राखी है पीढी
मेट दियौ फरक कतल अर आतमहित्या रौ
जीवतौ ई जीत लियौ सरग
वगत नै गोडा-लकड़ी दे -
पण भायला
आजकाल तौ बेमौत मरणौ भी कोनी मुफत-हकनाक
(मरियोड़ौ हाथी व्है लाख टकां रौ अर मानखौ)
उणरा भी मिलै दाम
हादसै, मोकै, आसामी या औदै री औकात पाण
अर म्हारै कनै तौ ले-दे है फकत एक ईमान
या म्हारी जान
बोल कांई खरीदैला
देवैला मूंडे मांग्या दाम
के पछे म्है खुद ई करलूं जुगाड़
एक हसीन हादसै रौ
मरणौ तौ है ई एक दिन
कांई फरक पड़ै
जे कोई वखत सूं पैला मरै
यूं भी किसा बाटलै कोई चाम रा दाम
लै बोल म्है बेचूं ईमान ऊधड़ौ
कांई खरीदैला
जाणूं, नी सजै थारै हींग री गरज
म्हनै तौ भायला मरणौ ई पड़सी
बिकण जैड़ा कोनी म्हारा भाग
म्है कोनी जिनस
ईमान रा कद कोई टका बाटिया
जान
नीं चावूं तौ भी थारा फरजंद
चावै जद कर देसी किचरघाण
अर कचेड़ियां रै गोतां सूं अखताय
झखमार करसी राजीपौ
बाप नै अणमोल समझणी औलाद
आधी ऊधी कीमत आंक
ई सूं तो आछौ है
मोलायलै म्हारौ ईमान
थारै मरजी आयै मोल
के म्है म्हारी मनचायी मौत तौ मर सकूं
बोल! खरीदैला म्हारौ ईमान
म्है बेचूं पूरै होस हवास में
पण जाणै के भूत मरियां पलीत जागै
अर थन्नै लांपौ देवण वाळौ
जलम तौ गयौ व्हैला