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ज्यूं ज्यूं सिंझ्या नैड़ी आवै / सत्येन जोशी

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ज्यूं ज्यूं सिंझ्या नैड़ी आवै
जाणै क्यूं हिवड़ौ घबरावै

दिन तौ ज्यूं त्यूं कर गुड़कालां
बैरण रात बौत कळपावै

बाळपणै री रागड़दायां
बूढापौ सोरौ कटवावै

म्हां तौ सिणगारू बण रैग्या
कोतल घोडा कुण मोलावै

नुगरा फेर न्यात नूंती है
पांच बरस चुटक्यां में जावै

गैल नहीं छोडै है भंवरौ
सायत कळियां गंध उड़ावै

दिन में तपियोड़ौ सूरज भी
सांझ पड्यां मौळौ पड़ जावै

जूझ्या औछी करण आपदा
आ इंदर ज्यूं बरस्यां जावै