भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नाजोगो / श्याम महर्षि

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:22, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जद सूं
आयो है बो
शहर मांय
बिसर रैयो है
आपरै गांव री ओळ्यूं लगोलग,

चाट पकौड़ी अर
बंद पैकेट रै
वैफर्स रै सुवाद सूं
रीझैड़ो बो,
सै‘र री चमचमाट मांय
गमतो जाय रैयो है लगोलग,

अबै बी नै गांव मांय
मां रै हाथां सूं पोयैड़ी
बाजरै री रोटी
कै घरहाळी रो बणायेड़ौ
सांगरी रो साग
नीं भावै,

अबै बो
आपरै टाबरां अर
घरहाळी री पीछाण सूं
हुंवतो जाय रैयो है आघो

उण रो टेम
अबै सै‘र मांय
सिनेमा अर घासमण्डी मांय
घणौ बीतै,

बो अबै
सिंझ्या री टैम
नूवां भायलां साथै
अंगूर री बेटी सूं
करण लागग्यो है हेत,

अबै उण माथै
गांव सूं आयोड़ो
मां रो कागद
कै घर आळी का‘नी सूं
आयोड़ा समाचारां रो ई
असर कम हुवतो जाय रैयौ है,

बापू री दवाई
अर टाबरां री/पाटी पोथी री दरकार
कै घर आळी खातर
गाबां री बातां रो ई
अबै उण माथै कोई असर नीं,

गांव सूं आयेड़ै कागद रै
उथळै मांय
अबै बो टाबरां अर मां री
सुध-बुध नीं पूछै
अबै घणौ नुगरो हुयग्यो है बो,
झूठी अर मनघंडत
मजबूरयां रो बखाण
करतो रेवै
आपरै कागद मांय,

बो अबै
सै‘र मांय मषीन दांई
चालै अर जीवै
उण मांय अबै
हया दया रा गुण नीं रैया

बो अबै
सै‘र री भीड़ मांय
रमतो जा रैयो है।