भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दीठ / शिवराज भारतीय

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:02, 18 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कॉलेज री
देळियां माथै चढ़गी छोरियां
पण अजै तांई
वा ही भोळप
वा ही निश्छलता
वा ही निरमळता
लखावै।
टाबरपणै री वा
वा चुलबुलाट
वा चै‘चाट
वा खिलखिलाट
अचाणचकै
मंगस पड़गी
अर
उण जिग्यां
कद आय‘र
लाज
सरम अर झीझक
भरगी।
कांई ठा
छोरियां उमर में
मोटी हुगी
कै जमानै री दीठ
छोटी हुगी।