भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सिंझ्या..! / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:24, 19 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मत चास
दिवलो,
दाझ ज्यासी
सिंझ्या रो डील,
आ तो
इंयां ही अधघायल
पड़ग्यो भोळी रो
सूरज रै बुझतै खीरै पर पग
उपड़ग्या फाला
कैवै बां नै
संवेदण हीण मिनख
तारा !