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जरमन तेरा जाइयो राज / हरियाणवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जरमन तेरा जाइयो राज,

आज ना तडकै!

तन्ने मारे बिराने लाल

जहाज भर-भर के!

मैं किस पर करूँ सिंगार

कालजा धड़के!


भावार्थ

--'अरे जरमन! तेरा राज ख़त्म हो जाए, आज ही या कल सुबह तक तू सत्ता में न रहे । अरे तूने कितने ही

पराए बेटों को मार डाला । वे हमारे पति थे जो जहाजों में भर-भर कर मोरचों पर ले जाए गए थे । हाय! मैं शृंगार

करूँ भी तो कैसे ? मेरा तो कलेजा धड़क रहा है !'