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टी.वी. / शिवराज भारतीय
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बापूजी थे टी.वी. ल्यादो
म्हानै भावै टी.वी.
कारटून नाटक री रूणक
ल्यावे घर में टी.वी.।
गीत सुणावै फोटू आवै
भांत-भंतीला खेल दिखावै
सगळां रो ओ जी बिलमावै
ज्ञान बधावै टी.वी.।
घर बैठ्यो दुनियां दिखळावै
नूवीं-जूनी बात बतावै
नूवैं जमानै रो ओ साथी।
खूब पढ़ावै टी.वी.।
पढ़णै सूं जी नही चुरावां
दूजा काम नहीं बिसरावां
करनै सगळा काम जरूरी
पाछै देखां टी.वी.।