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सीता राम गाई भोला डमरू बजावेलें / महेन्द्र मिश्र
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सीता राम गाई भोला डमरू बजावेलें।
तात थइया तात थइया डमरू धिनकाधिन्ना।
तिरकी तुन्ना नाधिर-धिन्ना तान के गिरावेलें।
बँसहा सवारी अंग भभूति लगावे ई तऽ,
गाँजा-भाँग पीके संगे योगिनी नचावेलें।।
पेन्हे बाघ छाला गले साँप लटकावे सिव,
कानवाँ में बिचछी कुंडल अजबे ढुलावेलें।।
भाँगवा के झोरी भोला काँख तर झुलावे ई त,
जटवा सुन्नर गंगाधर के बहावेलें।।
कहत महेन्द्र भोला मोरा मन भावेलें,
लागल बाटे आसा कब दरसन देखावेलें।।