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अलख निरंजन प्रभु हो तू ही दुखभंजन / महेन्द्र मिश्र

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अलख निरंजन प्रभु हो तू ही दुखभंजन
नीको लागे गंगा तोहरी ल
रघुनन्दन हो तू ही जग तारन हार।
केवट के तरलऽ प्रभु सबरी के तरलऽ
रघुनन्दन हो अबकी के बेरिया हमार।
धुरूप के तरलऽ प्रहलाद् बान्ह कटलऽ
रघुनन्दन ही खंभाफाड़ि ले ल अवतार।
आखा के तरल तू सदन के तरलऽ
रघुनन्दन हो भगतन के कइलऽ दगरी
भीलनी के तरल प्रभु विदुर के तरलऽ
रघुनन्दन हो भाजी के कइल जेबनार।
द्विज महेन्द्र प्रभु हमरो के तरिहऽ
रघुनन्दन हो मोरा नइया करिहऽ बेड़ा पार।