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कटहर खरबंदा कचनार ओ कदंब अंब / महेन्द्र मिश्र
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कटहर खरबंदा कचनार ओ कदंब अंब
जम्बू फल कैंत केरा नीमू वो अनार हैं।
अमला अमरूद बइर सेब नासपाती तूत
बैल अबर बरहरे से तो झुके सभ डार हैं।
सुन्दर सरीफा नवरंगी निहार देखो फरसा
अनेनास वो अंगूर की बहार है।
द्विज महेन्द्र रामचन्द्र जोई मन भावे तोड़
लीजिए खुशी से सकल वस्तु ही अपार है।