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बेबसी / शशि सहगल

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अपने ढंग से
कुछ जिया नहीं मनचाहा सुख दुख पिया नहीं
पतझड़ हो या बरसात
झरती पत्तियों सा
जीवन जी लिया
कभी भी
अपनेपन को
अपने ही दुखों से
सी लिया।