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खबरें गाँव से / कुमार रवींद्र
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अब तो आतीं
सिर्फ मौत की खबरें
अपने गाँव से
पिछले साल मरे थे भइया
अबके बहनोई
जुम्मन चाचा नहीं रहे
उनकी बेवा रोई
फूल सिराकर
दिदिया के हम
उतर रहे हैं नाव से
भरा-पुरा था गाँव हमारा
अब लगता खाली
शोक मनाती है लड़के का
हर दिन चैताली
शोर नहीं आता है
बच्चों का
अंबुआ की छाँव से
परदेसी हम
पहुँच न पाये आग कभी देने
रजधानी से आते सब
घर का हिस्सा लेने
नदी आज भी
गाँव सींचती -
निकसी प्रभु के पाँव से