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कादम्बरी / पृष्ठ 61 / दामोदर झा

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1.
चन्द्रापीड़ विचित्र कथाकें सोचल बारहिं बार
धैरज धय सान्त्वना करै लय कयलनि वचन उचार।
राजकुमारि, किएक कनै छी होइ छी किए अधीर
कोनो देव दयालु भेल छथि आँखि बहाउ न नीर॥

2.
मध्यरात्रिमे विधु मण्डलसँ निकलल पुरुष विशेष
नहि ओ आन अवश्य चन्द्रमा कयलनि ततहि प्रवेश।
मृतक उठा लय गेल करै लय पुनरपि जीवन दान
हयत मिलान अहाँके कहलनि होयत वचन प्रमाण॥

3.
मुइलो जीवय व्यक्ति जगतमे सम्बल पाबि महान
सन्दीपनिक पुत्रके केशव कयलनि जीवन-दान।
वभ्रु वाहनक हाथे अर्जुन मुइला युद्धक खेत
ततय उलूपी नागमणिहिंसँ पुनरपि कयल सचेत॥

4.
पिता हुनक छथि श्वेतकेतु जे तपमे विधिक समान
हुनक तपस्यासँ असाध्य नहि हिनकर जीवन दान।
युक्ति सहित दृष्टान्त बुझा क’ हिनका धैरज देल
चन्द्रापीड़ सलिल आनल नयनहुँ मुख पोछै लेल॥