Last modified on 12 नवम्बर 2013, at 13:33

दिल की याद-दिहानी से / हम्माद नियाज़ी

सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:33, 12 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हम्माद नियाज़ी }} {{KKCatGhazal}} <poem> दिल की य...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दिल की याद-दिहानी से
आँख खुली हैरानी से

रंग हैं सारे मिट्टी के
बे-रंग इस पानी से

हर्फ़-निगारी सीखी है
कमरे की वीरानी से

पेड़ उजड़ते जाते हैं
शाख़ों की नादानी से

दाग़-ए-गिर्या आँखों का
कब धुलता है पानी से

हार दिया है उजलत में
ख़ुद को किस आसानी से

ख़ौफ़ आता है आँखों को
भेद भरी उर्यानी से

रोज़ पसीना बहता है
आँखों की पेशानी से