भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बूढ़ो समन्दर / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:01, 28 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=कूं-क...' के साथ नया पन्ना बनाया)
बूढ़ो समन्दर
सूतो सूतो
अचपळी लहराँ नै
गीरगटी कर’र रमावै,
लहराँ ऊँधी हुवै जणाँ
खूँजै में भेळा कर्योड़ा
संख-सीप तिसळ’र
रेत में रळ ज्यावै !