भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
धुंऊं / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:35, 28 नवम्बर 2013 का अवतरण
जावै
जोत स्यूं
घणो ऊंचो
नुगरो धुंऊं
पण कोनी
देवै
इण कुळ कळंकी नै
मोटो गिगनार
शरण
आ तो
समदीठ लौ
जकी बणा देवै
इण अ़ांख फोड़ै नै
काजळ !