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दुर्घटना / कन्हैया लाल सेठिया

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कद हो
इस्यो बगत
जद नहीं रया हुवै
राग धेख
लूंट खसोट
हिंसा, दुराचरण ?
उठयो है
हरेक जुग में
पशुपणै स्यंूं ऊपर
कोई
एकाध मिनख
करती रही
जकै री संवेदणा
समाज रो मारग दरसण
जठै तांई नहीं बणग्या
बीं रा सबद
सासतर !