भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अणभव’र दीठ / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:02, 28 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=लीकल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हू’र नचीतो
मत फैंक
अकूरड़ी पर
दिवलो
आवै दाबतो
उगतै सूरज रा खोज
फेर अंधेरो
आ नित री राड़
कोनी कर सकै कोई
आडी बाड़
जे चावै
भलो
थारी भोळी दीठ नै
अणभव स्यूं जोड़ !